oodeyaa
6 лет назадMistakes and I, my new poem in Hindi.
आसानी से खोज निकालते हैं ।
छोटी को बड़ी बताकर,
कहने में मज़ा लेते हैं ।
अपनी जाँच के लिए तो,
कोई बिरला ही तैयार होता है ।
उसे अपनी गलती तो गलती ही नहीं लगती,
अपने साथ पक्षपात किया करता है ।
पक्षपाती मन सदा अपने को,
निर्दोष बताता रहता है ।
जो गलतियाँ हम करते हैं,
उनका कारण दूसरों पर थोप दिया जाता है ।
ऐसे पक्षपाती मन के रहते,
कोई अपनी बुराइयाँ समझ कहाँ पाएगा ।
जो बात समझी ही नहीं गई,
उसे सुधारा कैसे जाएगा ।
अतः अपने को सुधारने के लिए,
अपनी ग़लत आदतों से लड़ा जाएगा ।
इस तरह हिम्मत कर जो,
धीरे धीरे सुधार के रास्ते पर चलेगा ।
एक दिन वही व्यक्ति इतना,
नेक इन्सान बन जाएगा ।
जिसके गीत यह दुनिया गायेगी,
तभी शांति वह संतोष का अनुभव किया जाएगा।
Original poem written by @oodeyaa